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लेखनी कहानी -07-Jul-2022 डायरी जुलाई 2022

भगवान के घर देर है मगर अंधेर नहीं (2) 


सखि, 
कल मैंने बताया था कि किस तरह रूबैया सईद के अपहरण कर्ता यासीन मलिक को रूबैया ने कोर्ट में पहचान कर उसकी सजा मुकम्मल कर दी । आज ऐसे ही एक और षड्यंत्र के बारे में बताना चाहता हूं । 

सखि, यह तो तुम्हें पता ही होगा कि गोधरा दंगों के पश्चात गुजरात में व्यापक दंगे हुए थे । बाद में एक षड्यंत्र के तहत "साहेब" को फंसाने के लिए तीस्ता सीतलवाड़ , आई पी एस अधिकारी आर बी श्री कुमार और संजीव भट्ट के साथ एक राजनीतिक दल के अध्यक्ष के राजनीतिक सलाहकार ने झूठ का ताना बाना बुना ।  यह बात कोई नेता या पत्तलकार नहीं बोल रहा है बल्कि स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम का हलफनामा बोल रहा है जो उसने एक कोर्ट में प्रस्तुत किया है । 

इस हलफनामा में कथन किया है कि "साहेब" और अन्य लोगों को फंसाने के लिए तीस्ता सीतलवाड़ को एक बार पांच लाख रुपए और दूसरी बार पच्चीस लाख रुपए दिए गये थे । ये रुपये उस वक्त केन्द्र की सरकार के राजनीतिक दल की मुखिया के राजनीतिक सलाहकार ने दिये थे जो कि दंगा पीडितों के नाम पर दिये थे मगर जो कभी दंगा पीडितों को नहीं दिये गये थे और न ही उन पर खर्च किये गये थे । इस प्रकार यह स्पष्ट है कि वह धनराशि किसी को फंसाने के लिए ही दी गई थी । क्या अब भी यह बताने की जरूरत है कि किसे फंसाया जाना था ? और कौन फंसा रहा था ? इसीलिए तो कहा जाता है कि पाप का घड़ा एक न एक दिन तो फूटता ही है । और भगवान के घर देर जरूर है पर अंधेर नहीं है । और भी पापियों का नंबर आने वाला है, बस देखती जाओ सखि । 

आज इतना ही , बाकी कल । 

श्रीहरि 
17.7.22 

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5 Comments

Rahman

19-Jul-2022 09:23 AM

Nyc

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Seema Priyadarshini sahay

18-Jul-2022 04:05 PM

बेहतरीन डायरी

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Chetna swrnkar

18-Jul-2022 12:27 PM

Bahot sunder

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